
मोटापे की परिभाषा शरीर का बहुत अधिक द्रव्यमान होना कहा जाता है। वयस्कों में मोटापा...
मोटापा अत्यधिक वसा (Fat) और कभी-कभी खराब स्वास्थ्य या अन्य कारण से हुई एक जटिल और पुरानी बीमारी है।शरीर में बहुत अधिक वसा या मोटापा होना कोई बीमारी नहीं है लेकिन इसके कारण शरीर अपने कार्य करने के तरीके को बदल सकता है। ये परिवर्तन समय के साथ खराब हो सकते हैं जो प्रगतिशील हैं, और स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव डाल सकते हैं।
मोटापा स्वास्थ्य जोखिमों की सांभावना बढ़ा देता है जो वजन कम करके सुधारा जा सकता है। वजन कम करने का हर तरीका हर किसी के लिए काम नहीं करता और वजन कम रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
मोटापे के तीन प्रकार क्या हैं?
मोटापे के गंभीर रूप के आधार पर इसको विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गयाहै। बीएमआई (BMI) का उपयोग करके इसको श्रेणियों में बनता जासकता है। बी एम आई 25.0 और 29.9 kg/m 2 के बीच होना अधिक वजन की श्रेणी में आता है।
मोटापे के तीन सामान्य वर्ग हैं
- क्लास I मोटापा (Class I Obesity): बीएमआई (BMI) 30 से <35 KG/M 2
- क्लास II मोटापा (Class II Obesity): बीएमआई (BMI) 35 से <40 KG/M 2
- तृतीय श्रेणी मोटापा (Class III Obesity): बीएमआई (BMI) 40+ KG/M 2
मोटापे का कारण क्या है?
मोटापा बढ़ने का कारण आपके दैनिक गतिविधि में जितना कैलोरी जलती हैं उससे ज्यादा कैलोरी (Calorie) का आप सेवन करते हैं, और लंबे समय तक करते रहते हैं तो मोटापा बढ़ सकता है। ज्यादा कैलोरी का सेवन करते जाना उन्हें शरीर में जमा करताजाएंगा और आपका वजन बढ़ता जाएगा। कई बार वजन बढ़ने के लिए निम्न कुछ कारण भी हो सकते हैं.
- जेनेटिक/आनुवंशिक कारण (Genetic) : आनुवंशिक यानी जेनेटिक कारणसे आपके शरीर में भोजन से बानीऊर्जाकैसे परिवर्तित होती है और कैसे फैट को स्टोर होता है, को प्रभावित करता है।
- बढ़ती उम्र का असर (Aging) : जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे मेटाबॉलिज्म रेट गिर जाता है और मसल मास भी कम हो जाता है , जिसके कारण आसानी से वजन बढ़ सकता है।
- नींद पूरी न होना (Sleep Deprivation) : नींद पूरी न होने से हार्मोन में बदलाव भूख अधिक लगने का कारन बन सकती है जिससे आपका कैलोरी सेवन बढ़ता है और मोटापा होता है।
- गर्भावस्था (Pregnancy) : गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोन और खानपान में बदलाव महिलाओं का वजन बढ़ा सकता है।प्रसव के बाद वजन को कम करना मुश्किल हो सकता है, जिससे मोटापा हो सकता है।
- पीसीओएस/पीसीओडी (PCOS/PCOD) : पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम/डिजीज (PCOS) में महिलाओं के प्रजनन हार्मोन्सके स्तर और बनने में असंतुलन बनता है जिसकी वजह से भी मोटापा बढ़ सकता है।
- प्रेडर विली सिंड्रोम (Prader Willi Syndrome) : यह एक जन्म से ही होना वाली एक दुर्लभ बीमारी है। इस से पीड़ित व्यक्ति को बहुत अधिक भूख लगती है जिसके कारण मोटापा बढ़ता है।
- कुशिंग सिंड्रोम (Cushing Syndrome) : इस स्थिति में कोर्टिसोल के स्तर (स्ट्रेस हार्मोन) बहुत अधिक होते हैंजिसके कारण वजन बढ़ सकता है।
- हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) : हाइपोथायरायडिज्म में आपका थायरॉयड ग्लैड पर्याप्त मात्रा में थायरॉयड हार्मोनबना पता। हाइपोथायरायडिज्म को अंडरएक्टिव थायरॉयड भी खा जाता है, जिसकी वजह से मोटापा हो सकता है।
- ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) : ऑस्टियोआर्थराइटिस और अन्य स्थितियां, ऐसी स्थिति है जिनमें पीड़ित को अत्यधिक दर्द की वजह से गतिविधियां करने में तकलीफहोती है। शारीरिक गतिविधि कम होने के कारण वजन बढ़ने लगता है।
मोटापे के प्रभाव
मोटापे से संबंधित बीमारियों में योगदान देता है, जिनमें शामिल हैं:
- मधुमेह प्रकार 2 (Diabetes Type 2)- मोटापा टाइप 2 मधुमेह का खतरा पुरुष में सात गुना बढ़ा देता है और महिला में 12 गुना बढ़ा देता है।वजन घटाने के साथ यह भी कम हो जाता है।
- हृदय रोग (Heart Diseases)- हृदय रोग आपके बीएमआई के साथ-साथ बढ़ते हैं
- उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)
- उच्च कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol)
- उच्च रक्त शर्करा (High Blood Sugar Level)
- सूजन (Swelling)
- कोरोनरी धमनी रोग (Coronary Artery Disease)
- कंजेस्टिव हृदय विफलता (Congestive Heart Failure)
- दिल का दौरा (Heart Attack)
- स्ट्रोक (Stroke)
- फैटी लिवर डिजीज/वसायुक्त यकृत रोग (Fatty Liver Disease)- रक्त में अतिरिक्त वसा/फैट आपके लिवर तक पहुंच जाती है, लिवर आपके रक्त को फ़िल्टर करता है। जब लीवर में अतिरिक्त वसा जमा होती है तो इससे
- क्रोनिक लीवर सूजन (हेपेटाइटिस) (Hepatitis Chronic Liver Inflammation)- दीर्घकालिक लीवर क्षति ( सिरोसिस ) हो सकती है।
- किडनी/गुर्दा रोग (Kidney Disease)- क्रोनिक किडनी रोग के लिए उच्च रक्तचाप, मधुमेह और यकृत रोग सबसे आम योगदानकर्ताओं में से हैं।
- पित्त पथरी (Gallstones)- रक्त कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने से आपके पित्ताशय/गाल ब्लैडर में कोलेस्ट्रॉल जमा होता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल पित्त पथरी और अन्य पित्ताशय रोग हो सकते हैं।
प्रत्यक्ष प्रभाव
अतिरिक्त चर्बी के कारण श्वसन तंत्र और मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम पर तनाव और दबाव डालता है, जिसके योगदान से हो सकता है :
- सोते समय साँस लेने में तकलीफ-स्लीप एप्निया (Sleep Apnea)
- दमा (Asthma)
- मोटापा/ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम (Obesity Hypoventilation Syndrome)
- पीठ में दर्द (Back Pain)
- ऑस्टियोआर्थराइटिस . (Osteoarthritis)
- गठिया .(Arthritis)
अप्रत्यक्ष प्रभाव
मोटापा अप्रत्यक्ष रूप से कर सकता है
- अल्जाइमर रोग (Alzheimer Disease) और मनोभ्रंश (dementia) का खतरा जिसमें स्मृति और अनुभूति बिगड़ सकती है
- डिप्रेशन (Depression)
- मनोदशा संबंधी विकार (Mental Disorders)
- महिलाओंमें बांझपन (Infertility in Women)
- गर्भावस्था संबंधी जटिलताएँ (Pregnancy Related Complications)
- कुछ कैंसर (Cancer) जैसे की एसोफैगस/ग्रास्सनली (Esophagus Cancer), पैंक्रियास/अग्नाशय (Pancreatic Cancer), कोलोरेक्टल (Colorectal Cancer), स्तन (Breast Cancer), गर्भाशय (Uterine Cancer) और ओवरी/डिंबग्रंथि (Ovarian Cancer) का कैंसर।
मोटापे के नैदानिक परिक्षण
मोटापे के कारन का निदान करने के लिए निम्नलिखित टेस्ट किये जा सकते हैं
- सिटी स्कैन (CT Scan)
- एमआरआई स्कैन (MRI Scan)
- अल्ट्रासाउंड स्कैन (Ultrasound Scan)
- ईसीजी या ईकेजी (ECG or EKG)
- डेक्सा स्कैन (Dexa Scan)
- ब्लड टेस्ट (Blood Tests)
- ब्लड शुगर/ग्लूकोस स्टार (Blood Sugar)
- लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT)
- डायबिटिक स्क्रीनिंग (Diabetic Screening)
- थाइरोइड टेस्ट (Thyroid Test)
- कोलेस्ट्रॉल लेवल टेस्ट (Cholesterol Level)
निष्कर्ष
मोटापा एक दीर्घकालिक चिकित्सीय स्थिति है जो हृदय रोग और मधुमेह सहित अन्य स्वास्थ्य स्थितियों का विकसित होने का खतरा बढ़ा सकता है।
मोटापे के उपचार में जीवनशैली में बदलाव लेन से उसे घटाने में मदद मिलती है और दवाएं इस्तेमाल करके मोटापा करने वाली बीमारियों को ठीक किया जा सकता हैं। कुछ मामलों में, इसमें सर्जरी भी हो सकती है।