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सर्वाइकल कैंसर जानिए इसके लक्षण, क्यों होता है, डायग्नोज़,और उपचार।

सर्वाइकल कैंसर जानिए इसके लक्षण, क्यों होता है, डायग्नोज़,और उपचार।

कैंसर के कई प्रकार हो सकते है जिनमे से एक है सर्वाईकल कैंसर। इस ब्लॉग के माध्यम से हम...

कैंसर कोशिकाओं के अनियमित वृद्धि के कारन होता है। गर्भाशय योनि के निचले हिस्से को सर्विक्स कहते हैं। जब कैंसर सर्विक्स में होता है , उसे सर्वाइकल कैंसर कहते हैं। 

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण और संकेत क्या हैं?

गर्भाशय योनि की कोशिकाएं जब अनियमित रूप से बढ़ने लगे तब कैंसर होता है। कैंसर आम तोर पर कुछ लक्षण नहीं दिखता। कैंसर होने का एकमात्र तरीका है असामन्य कोशिकाओं की जाँच करवाना , जिसे सर्वाइकल स्क्रीनिंग टेस्ट्स (cervical cancer screening test) कहते हैं। यदि कैंसर को शुरुवाती चरणों में जाँच लिया जाये तो उसके बढ़ने की सम्भावना कम हो जाती है, और इलाज में भी आसानी होती है। कुछ लक्षण नीचे लिखे है -

  • पीरियड्स / मासिक धर्म के बीच योनि से खून आना। 
  • पीरियड्स/मासिक धर्म में सामान्य से ज़्यादा खून आना। 
  • सम्भोग के दौरान बोहोत दर्द होना। 
  • सम्भोग के बाद रक्त आना। 
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द होना। 
  • योनि से खून आने में बदलाव जैसे की , खून का रंग बदलना,या असामान्य गंध आना , ज़्यादा तेज या धीरे खून आना। 
  • मीनोपॉज (menopause) के बाद खून आना। 
  • पानी जैसा, खूनी योनि स्राव जो भारी हो सकता है
  • मोटापे से ग्रस्त लोगों में सर्वाइकल कैंसर की जांच अधिक कठिन हो सकती है, जिससे प्रीकैंसर (PRECANCER) का पता कम चल पाता है और कैंसर का खतरा अधिक होता है।

यदि इनमे से कुछ लक्षण है तो जरुरी नहीं है की आपको सर्वाइकल कैंसर है , फिर भी अगर आपको ये लक्षण चिंतित करते हैं ,और अगर ये लक्षण बहुत लम्बे समय तक बने रहते हैं तो आपको अपने डॉक्टर को दिखा आना चाहिए।

सर्वाइकल कैंसर के कारण?

सर्वाइकल कैंसर के कारण

सर्वाइकल कैंसर होने का कोई सटीक कारण तो वैज्ञानक और डॉक्टर नहीं खोज पाए हैं पर कुछ कारण हैं जो सर्वाइकल कैंसर होने की सम्भावना बढ़ा सकते हैं , जैसे की:

  • बहुत लम्बे समय से हुआ इन्फेक्शन (infection) जैसे की ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV-human papillomavirus) सर्वाइकल कैंसर होने की सम्भावना बढ़ा देते हैं। ह्यूमन पेपिलोमा वायरस 2 प्रकार की होती है जो सर्वाइकल कैंसर होने के कारक बन सकते हैं जैसे की ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) 16 और ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) 18 है। 
  • जो महिलाये गर्भनिरोधक / कॉन्ट्रासेप्टिव (Contraceptive) गोलिया लेती हैं , और बोहोत समय से लेती आरही हैं ,उनमें भी सर्वाइकल कैंसर होने की सम्भावना बढ़ी हुई देखी गयी है। अगर गर्भनिरोधक के साथ एच पि वि (HPV) गोलिया भी ली जाये तो सर्वाइकल कैंसर के साथ ओवेरियन कैंसर (Ovarian cancer) की भी सम्भावना बढ़ जाती है। 

कुछ अन्य जोखिम कारक में शामिल है:

  • धूम्रपान या सिगरट बीड़ी का सेवन करना। 
  • कमज़ोर इम्यून सिस्टम (immune system) / सुरक्षा प्रणाली का होना। 
  • यदि आपकी माँ को आपके गर्भावस्था के दौरान डायथाइलस्टिलबेस्ट्रोल (DES), महिला हॉर्मोन एस्ट्रोजन (estrogen) का आर्टिफ़िशियल रूप दिया गया हो, तब भी सर्वाइकल कैंसर होने के अवसर बढ़ जाते हैं। 

10 में से लगभग आठ महिलाएं अपने जीवन में किसी न किसी समय योनि एचपीवी से संक्रमित होती है। एचपीवी संक्रमण वाली अधिकांश महिलाओं को कभी भी सर्वाइकल कैंसर नहीं होता है; केवल कुछ प्रकार के एचपीवी के परिणामस्वरूप सर्वाइकल कैंसर होता है। 

सर्वाइकल कैंसर के प्रकार क्या हैं? 

गर्भाशय योनि के कैंसर के मुख्या दो प्रकार हो सकते हैं: 

  • स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous Cell Carcinoma)- लगभग 80% से 90% सर्वाइकल कैंसर स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (squamous cell carcinoma) होते हैं.
  • एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma)- 10% से 20% एडेनोकार्सिनोमा (adenocarcinoma ) होते हैं।

सर्वाइकल कैंसर का निदान और परिक्षण कैसे होता है?

सर्वाइकल कैंसर का निदान और परिक्षण

सर्वाइकल कैंसर एकदम से नहीं होता बल्कि धीरे धीरे कई सालो तक विकास करने के बाद होता है। कैंसर में बदलने से पहले जो सर्विक्स की कोशिकाएं होती है वे कई बदलावों से गुजरती हैं। कैंसर ग्रस्त कोशिकाएं नार्मल (Normal)/ सामान्य कोशिकाओं से अलग दिखती हैं। सामान्य कोशिकाएं एक समय के बाद खुद से ख़तम हो जाती है, पर कैंसर ग्रस्त कोशिकाएं बढ़ती चली जाती है। 

  • पैप जाँच (Pap Test) - पैप जाँच से और दूसरे स्त्री रोग जाँच को मिला कर सर्वाइकल कैंसर के ज़्यादातर सबूत का पता लगाया जा सकता है। पैप जाँच, या पैप स्मीयर, यह जाँच आपकी गर्भाशय योनि के कुछ सेल्स को इकठा करके किया जाता है। इन कोशिकाओं की जाँच से अनियमित रूप से बढ़ रही कोशिकाओं के लक्षण देखे जाते हैं और सर्वाइकल कैंसर का निदान किया जाता है। 
  • एच पि वि (HPV) - पैप जाँच अगर पॉजिटिव आती है तो आगे के परिक्षण किये जाते हैं जैसे की, एच पि वि की जाँच करना। ह्यूमन पेपिलोमा वायरस की जाँच आपकी गर्भाशय योनि की कुछ कोशिकाओं की जाँच करके किया जाता है। एच पि वि इन्फेक्शन सर्वाइकल कैंसर होने के मोके बढ़ा सकता है। 
  • बायोप्सी (बायोप्सी) - बायोप्सी करके कैंसर होने का संदेह साबित किया जा सकता है।यदि बायोप्सी पॉजिटिव आती है, यह संकेत हो सकता है की कैंसर फ़ैल गया है।

सर्वाइकल कैंसर के स्टेजेस क्या हैं?

सर्वाइकल कैंसर को कुछ स्टेजेस मे बंटा गया है, स्टेजेस नीचे समझायी गयी हैं 

स्टेज 1 (Stage-1) 

कैंसर केवल गर्भाशय योनि तक ही रहता है। इस स्टेज में कैंसर फैला नहीं हुआ होता। कैंसर का साइज़ भी छोटा होता है। 

स्टेज 2 ( Stage-2)

इस स्टेज में सर्वाइकल कैंसर आपके गर्भाशय और योनि से परे फ़ैल गया होता है। लेकिन इसमें आपकी पेल्विक (pelvic) दीवार या योनि से ऊपर नहीं फ़ैला होता।

स्टेज 3 (Stage-3)

कैंसर आपकी योनि के निचले हिस्से में फैल गया है और हो सकता है कि यह आपकी पेल्विक दीवार, मूत्रवाहिनी (मूत्र ले जाने वाली नलिकाएं) और आस-पास के लिम्फ नोड्स (lymph nodes) तक फैल गया हो।

चरण 4 (Stage-4)

कैंसर आपके मूत्राशय, मलाशय या शरीर के अन्य भागों जैसे आपकी हड्डियों या फेफड़ों तक फैल गया है ।

निष्कर्ष

सर्वाइकल कैंसर एक तेज़ी से बढ़ने वाली और जानलेवा बीमारी साबित हो सकती है। इसका इलाज और समय से जाँच करवा लेना बहुत महत्वपूर्ण है। इसका समय से इलाज कराये और जाँच केंद्र पर जाँच करवाए। गणेश डाइग्नोस्टिक एंड इमेजिंग सेंटर इसका बोहोत सटीक डायग्नोसिस देने की कोशिश करते है। ताकि आपके इलाज में बेहतर से बेहतरीन प्लान बन सके और आप कैंसर या किसी भी बीमारी से निजाद पा सके। 

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  • कंसल्टेशन डॉक्टर- डॉ. रवीन शर्मा ( MBBS , MD Radiologist )
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