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लाइम रोग क्या है? जानिए इसके लक्षण, चरण, कारण और निदान

लाइम रोग क्या है? जानिए इसके लक्षण, चरण, कारण और निदान

लाइम रोग क्या है उसके लक्षण, कारण, निदान और उपचार इस ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे। 

लाइम रोग (Lyme Disease) एक बैक्टीरिया  से होता है , यह रोग आमतौर पर बोरेलिया बर्गडोरफेरी बैक्टीरिया (Borrelia Burgdorferi Bacteria) काटने के कारण संक्रमित हो सकते है। लकड़ी की टिक (WoodTick) और कुत्ते की टिक (Dog Tick)से आप लाइम रोग से संक्रमित नहीं हो सकते। 

लाइम रोग को बोरेलिओसिस (Borelliosis) के नाम से भी जाना जाता है, यह पहली बार 1975 में बच्चपन में शुरू हुई कनीकट और दो पड़ोसी शहरों में शुरू हुई थी जो गठिया (Arthritis) के फैलने के दौरान संक्रमित हिरण किलनी के काटने से हुआ था।

लाइम रोग के चरण क्या हैं? (Lyme Disease Stages in Hindi)

लाइम रोग ३ चरणों में विकसित हो सकता है, जिसके लक्षण  त्वचा, जोड़ों , हृदय या अन्य बीमारियों के लक्षण जैसे हो सकते हैं।  

लाइम रोग के तीन चरण (Lyme Disease 3 Stages)

  1. प्रारंभिक स्थानीयकृत लाइम रोग (Early Localized Lyme Disease) : लाइम टिक काटने के 1-28 दिन के बाद यह चरण शुरू होता है।
  2. प्रारंभिक प्रसार और फैलना (Early Disseminated Lyme Disease): टिक काटने के 3-12 हफ़्तों बाद यह चरण के लक्षण देखे जा सकते हैं।
  3. देर से प्रसारित चरण ( Late Disseminated Lyme Disease): यह सबसे उन्नत चरण है जो लाइम रोग से आखरी चरण को दर्शाता है। यह विकसित होने में काफी समय जैसे महीनों या वर्षों का समय भी ले सकता है।

लाइम रोग के लक्षण और संकेत क्या हैं? (Lyme Disease Symptoms And Signs)

लाइम रोग के लक्षण संक्रमण की अवस्था, स्तर और प्रगति पर प्रतिबंध लगाते हैं।

लाइम रोग के प्रारंभिक लक्षण (Lyme Disease Initial Symptoms in Hindi)

  • लाइम रोग के प्रारंभिक लक्षण आमतौर पर टिक काटने के 3-30 दिन बाद शुरू होते हैं।
  • लाइम रोग का सबसे पहला लक्षण बॉल लाइक रैश (Ball-Like Rash) होना है, जिसे एरिथेमा ट्यूमर (Erythema Tumor) भी कहा जाता है।
  • ज्यादातर लोगों को टिक काटने की जगह पर बॉल लाइक रैश (Ball-Like Rash)  हो जाते हैं। इसमें एक केंद्रीय लाल धब्बा होता है जो किनारे पर लालिमा के साथ स्पष्ट धब्बों से घिरा होता है।
  • इसमें दर्द या खुजली (Headache and Itching) न भी हो तो जलन (Burning) तो हो सकती है, 

लाइम रोग के चरण 1 में देखे जाने वाले अन्य लक्षण (Symptoms of Initial Stage Lyme Disease in Hindi)

  • ठंड लगन (Feeling Cold)
  • बुख़ार होना (Fever)
  • दृष्टि में बदलव आना (Vision Changes)
  • थकान महसूस होना (Tiredness)
  • दर्द होना (Pain)
  • मांसपेशियों में दर्द (Muscle Ache) 
  • लिम्फ नोड्स में सूजन (Inflammation of Lymph Nodes)

लाइम रोग के देर से दिखने वाले लक्षण- (Symptoms Of Late Lyme Disease in Hindi) 

  • लाइम बीमारी के प्रारंभिक लक्षण टिक काटने के 3 महीने बाद  प्रकट हो सकते है, जबकि देर से शुरू होने वाली लाइम बीमारी के लक्षण संक्रमण के 12 महीने के बाद प्रकट हो सकते है।
  • लाइम रोग के 2 और 3 चरण में आपके पूरे शरीर में और अन्य अंगों में फ़ैल चुका होता  है। इनके लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं - 
  • असामान्य हृदय ताल, जिसमें लिम कार्ड सर्जरी का प्रयोग किया जा सकता है
  • न्यूरोलॉजिकल स्थितियाँ (Neurological Conditions), जैसे चेहरे का पक्षाघात (paralysis) और क्रेनियल न्यूरोपैथी (cranial neuropathy)
  • शरीर में मल्टीप्ल एरिथमा मिग्रेंस संक्रमण multiple erythema migrans lesions
  • आपके हाथों और पैरों में सुन्नता, (Numbness in Hands and feet)
  • शरीर में झुनझुनी और दर्द (Sensations And Pain in Body)
  • बहुत तेज़ सर में दर्द (Severe Headache)
  • गर्दन में अकड़न (Stiff Neck)
  • मैनिंजाइटिस (Meningitis)
  • एक या अधिक जोड़ों में गठिया (Arthritis), 
  • एन्सेफ़ैलोपैथी (Encephalopathy), जिसके कारण यादाश्त जा सकती है , ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, मानसिक धुँधलापन, बातचीत करने में समस्याएँ और सोने में दिक्कत हो सकता है।

बच्चों में लाइम रोग के लक्षण (Symptoms of Lyme Disease in Children in Hindi)

बच्चों में लाइम रोग के लक्षण सामान्य लक्षणों जैसे ही होते हैं लेकिन उनमें कुछ मानसिक लक्षण देखे जा सकते हैं जैसे की:

  • क्रोध (Anger)
  • आक्रामकता(Rage)
  • डिप्रेशन (Dipression)
  • बुरे सपने आना (Bad Dreams)

यदि आपका बच्चा अलग व्यवहार कर रहा है जिसे वः बता और समझा नहीं पारहा है तो आपको डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए। यह परिवर्तन लाइम रोग सहित कई कारकों का संकेत हो सकते हैं।

लाइम रोग होने का कारण क्या होता है ? (Causes of Lyme Disease In Hindi)

डियर टिक (Deer Tick)

लाइम रोग एक बैक्टीरिया के कारण होता है जिसे बोरेलिया बैक्टीरिया कहा जाता  है। उत्तरी अमेरिका में लाइम डिजीज, ब्लैक-लेग्ड टिक के कारन होता है , जिसे डियर टिक भी कहा जाता है।

यूरोप में, लाइम रोग बोरेलिया की एक अलग प्रजाति  के कारण होता है। यह टिक्स अपने अंदर  बैक्टीरिया ले जाते हैं जिनके कुछ नाम  है, जैसे की कैस्टर बीन टिक, भेड़ टिक, या हिरण टिक।

टिक बाइट (Tick Bite)

टिक्स आपकी त्वचा से चिपक जाते हैं और खून चूसना शुरू करते हैं ,जब तक वह फूलकर अपने सामान्य आकार से कई गुना अधिक न हो जाए। यह कई दिनों तक होस्ट का खून पी सकते हैं।

समय के साथ साथ टिक्स हिरण या कृंतक जैसे होस्ट से बैक्टीरिया उठाते हैं। वे खुद बीमार नहीं पड़ते लेकिन वे बैक्टीरिया को दूसरे होस्ट जैसे इंसान को काटने पर यह संक्रमण उन तक पहुंचा कर उन्हें संक्रमित कर सकते हैं। संक्रमित टिक के काटने से बैक्टीरिया उस व्यक्ति के रक्तप्रवाह में पहुंच सकता है। 24 घंटों के अंदर अगर यज टिक निकल दिया जाये तो लाइम रोग होने की सम्भावना कम जाती है।

यह युवा और वयस्क दोनों टिक रोग फैला सकते हैं। युवा टिक छोटे होते हैं और उन्हें पहचानना मुश्किल होता है। युवा टिक के काटने का आमतौर पर पता भी नहीं लगता ।

लाइम रोग का निदान कैसे किया जाता है? (Lyme Disease Diagnosis in Hindi)

लाइम रोग के काफी लक्षण अन्य संक्रमण और बीमारियों जैसे हो सकते हैं इसलिए उसका निदान करना मुश्किल हो सकता है। 

सबसे पहले आपके डॉक्टर आपके प्रत्यक्ष लक्षणों को  वे एरिथेमा डायग्नोसिस और लाइम रोग के अन्य लक्षणों को देखने के लिए शारीरिक परीक्षण करते हैं और आपसे आपके स्वास्थ्य की जानकारी लेते हैं। 

यदि आपको लाइम रोग के प्रत्यक्ष लक्षण नहीं हैं, तो वे आपकी जाँच दो-चरण में करेंगे

सीरोलॉजी (Serology)- इसमें रक्त परीक्षणों की मदद से एंटीबाडी (Antibody) का पता लगाया जा सकता है जैसे की:

  • एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट परख (एलिसा) (ELISA)
  • वेस्टर्न ब्लॉट (Western Blot)

लाइम रोग का इलाज कैसे किया जाता है? (treatment of Lyme Disease in Hindi)

लाइम रोग का आमतौर पर एंटीबायोटिक्स, जैसे की डॉक्सीसाइक्लिन या एमोक्सिसिलिन, के इस्तेमाल से इलाज किया जाता है। आपके संक्रमण की गंभीरता पर आपके  उपचार का समय निर्भर करता है। यह सच है कि जितनी जल्दी आपका इलाज किया जाएगा, आपकी हालात और संक्रमण उतनी ही जल्दी ठीक होगी।

गर्भवती महिलाओं को लाइम रोग का समय पर इलाज कराना चाहिए। हालाँकि, माँ से अजन्मे बच्चे तक संक्रमण पोहोचने का कोई सुबूत नहीं पाया गया है। लेकिन यदि गर्भावस्था में लाइम रोग हो और इलाज न करवाया जाये तो गर्भपात की संभावना अधिक होती है।

निष्कर्ष 

लाइम रोग आमतौर पर कुछ सामान्य लक्षणों के साथ आ सकती है जिससे उसके निदान में कठिनाई हो सकती है। एक अच्छा और अनुभवशील डॉक्टर और डाइग्नोस्टिक सेंटर आपको सही निर्देश दे सकता है और सही नैदानिक टेस्ट का सुझाव भी दे सकता है जिससे आप लाइम बीमारी से जल्दी निजाद पा सकते हैं। गणेश डायग्नोस्टिक में आपको ब्लड होम सैंपल कलेक्शन (Home Blood Sample Colection) की सुविधा प्राप्त हो सकती है जिससे आपको समय पर टेस्ट की रिपोर्ट मिल सकती है।  गणेश डिस्गनोस्टिक अपने टेस्ट के रिजल्ट में सटीकता और कम खर्च के लिए पिछले 23 वर्षों से जाना जाता है।