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हृदय रोग (दिल की बीमारी) क्या है? इसके कारण, लक्षण, निदान और उपचार

हृदय रोग (दिल की बीमारी) क्या है? इसके कारण, लक्षण, निदान और उपचार

अनुसंधान के अनुसार हर साल दो लाख के करीब लोग दिल की बीमारियों से जूझते हैं। हार्ट अटैक...

हृदय को प्रभावित करने वाली स्थितियों को हृदय रोग कहा जाता है। हृदय रोग कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे की रक्त वाहिका रोग, कोरोनरी धमनी रोग (Coronary Artery Disease), हृदय की धड़कन में अनियमितता (Arrhythmias) और हृदय दोष जो जन्म से ही हो (Congenital Heart Defects), आदि हैं। "हृदय रोग" को चिकित्सक अक्सर "कार्डियोवास्कुलर रोग" (Cardiovascular Disease) भी कहते हैं। कार्डियोवास्कुलर रोग के अन्य प्रकार रक्त वाहिकाओं में अवरोध हो सकता है जिसके होने की वजह से दिल का दौरा, एनजाइना (Angina) या स्ट्रोक का खतरा रहता है। हृदय के अन्य रोगों में दिल के वाल्व, मासपेशियां या हृदय की धड़कन का प्रभावित होना शामिल है।

हृदय रोग के प्रकार क्या होते हैं? (Types of Heart Disease in Hindi)

हृदय रोग के प्रकार

  • कोरोनरी धमनी रोग (Coronray Artery Disease)- यह आपके हृदय की रक्त वाहिकाओं का सिकुड़ना है जो रक्त वाहिकाओं में वसा या फैट जमा होने के कारण होती है।
  • हृदय ताल में ताल बिगड़ना (अतालता) (Arrhythmias)।
  • हृदय/ दिल के वाल्व का रोग (Heart Valve Disaeses)।
  • दिल की मांसपेशीयों में असमानता (कार्डियोमायोपैथी) (Cardiomyopathy)।
  • दिल सिकुड़ने और आराम करने में कठिनाई (हृदय विफलता) (Heart Failure)।
  • जन्मजात हृदय रोग जो जन्म से ही होते हैं (Congenital Heart Diseases)।
  • आपके हृदय ( पेरीकार्डियम- Pericardum) के आसपास तरल पदार्थ भरने की समस्या (Pericarditis)।

दिल की बीमारियों के अन्य प्रकार 

  • हार्ट अटैक (Heart Attack)
  • एनजाइना (Angina)
  • अथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis)
  • दिल में छेद जो जन्म से होता है (Hole In Heart)
  • सोमेटिक हार्ट डिजीज (Somatic Heart Disease)
  • पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (Peripheral Artery Disease)
  • सेरेब्रोवास्कुलर डिजीज (Cerebrovascular Disease)

दिल की बीमारियों के लक्षण क्या हैं?

दिल की रक्त वाहिकाओं में रोग के लक्षण

कोरोनरी धमनी रोग एक सामान्य हृदय स्थिति है जो एक रक्त वाहिका है 

कोरोनरी धमनी रोग के लक्षणों (Coronary Artery Disease Symptoms in Hindi)

  • सीने में दर्द, जिसे एंजाइना कहते हैं (Angina/Chest Pain)
  • सीने में जकड़न, (Chest Tightness)
  • सीने में दबाव या सीने में तकलीफ (Chest Discomfort or Chest pressure)
  • सांस लेने में तकलीफ (Difficulty Breathing)
  • दर्द जो गर्दन, ऊपरी पेट क्षेत्र, जबड़े, गले, या पीठ में हो (Pain in Neck, Uper Abdomen, Jaw, Back)
  • रक्त वाहिकाएं संकुचित हो ने के कारण पैरों या बांहों में दर्द, कमजोरी, सुन्नता या ठंडक महसूस हो सकती है। (Narrowed Blood Vessels)

दिल का दौरा, एनजाइना (Angina), स्ट्रोक (Stroke) या दिल की विफलता (Heart Failure) होने पर ही दिल की कोरोनरी धमनी की बीमारी (Coronary Artery Disease) का निदान किया जा सकता है। हृदय रोग के निदान के लिए दिल के लक्षणों पर निगरानी रखना आवश्यक है और कभी-कभी ये बीमारियां नियमित स्वास्थ्य जांच से जल्दी पता लग सकती है।

अनियमित दिल की धड़कन (हृदय अतालता) हृदय रोग के लक्षण

दिल के ताल में अनियमियता दिल की धड़कन का बहुत तेज, बहुत धीरे या अनियमित रूप से होना कहलाता है। 

दिल की ताल में अनियमितता के लक्षण (Arrythmia Symptoms)

  • सीने में दर्द (Chest Pain)
  • बेचैनी (Anxiety)
  • बेहोशी (सिंकोप) (Syncope) 
  • छाती में धड़कन या फड़फड़ाहट मेहसूस होना (Palpitations)
  • चक्कर आना (Fainting)
  • दिल की धड़कन तेज होना (टैचीकार्डिया) (Tachycardia)
  • सांस लेने में तकलीफ (Difficulty Breathing)
  • दिल की धड़कन धीमे होना (ब्रैडीकार्डिया) (Bradycardia)

जन्मजात हृदय रोग के (Congenital Heart Diseases Symptoms in Hindi)

गंभीर जन्मजात हृदय दोष के लक्षण जन्म के तुरंत बाद ही देखे जा सकते हैं।

  • त्वचा या होंठ का पीला, भूरा या नीला होना (सायनोसिस) (Cyanosis)
  • सूजन जो पैरों, पेट के आसपास या आँखों के आस पास देखि जा सकती है (Swelling near Eyes, Andomen, Legs) 
  • एक शिशु में, दूध पीते समय साँस लेने में तकलीफ होना जिसके कारण उसका वजन बढ़ने नहीं बढ़ पाता। (Weight loss in Children as They Cannot Breath while Feding)

हृदय मांसपेशी में रोग (कार्डियोमायोपैथी) के लक्षण (Cardiomyopathy Symptoms in Hindi)

कार्डियोमायोपैथी के प्रारंभिक चरण ज़्यादा लक्षण नहीं होते, जैसे-जैसे यह स्थित बढ़ती है, लक्षण देखे जा सकते हैं:

  • चक्कर आना, (Dizziness)
  • बेहोशी होना (Fainting)
  • थकान होना (Tiredness)
  • हर समय सांस लेने में तकलीफ महसूस होना (Breathing Difficulty al the time)
  • सोते समय सांस लेने में तकलीफ महसूस होना और उठ जाने पर सांस फूलना (Difficulty Breathing while Sleeping)
  • दिल की धड़कन अनियमित होना जो तेज़ या फड़फड़ाती हुई महसूस हो सकती है
  • पैरों, टखनों में सूजन आना (Swelling in Feet and Ankles)

हृदय वाल्व की समस्याओं के लक्षण (वाल्वुलर हृदय रोग Valvular Disease Symptoms in Hindi)

  • छाती में दर्द (Chest Pain)
  • बेहोशी होना (Fainting)
  • हर समय थकान रहना (Tiredness)
  • दिल की धड़कन में अनियमित्ता (Aryythmias)
  • सांस लेने में कठिनाई होना (Difficulty Breathing)
  • पैर या टखने में सूजन होना (Swelling in Feet and Knee)

एंडोकार्डिटिस जो संक्रमण है, इसके कारण हृदय वाल्व और हृदय कक्षों पर प्रभाव पड़ता है। 

एंडोकार्डिटिस के लक्षण (Endocarditis Symptoms in Hindi)

  • सूखी खांसी जो लम्बे समय से हो (Dry Cough)
  • बुखार (Fever)
  • दिल की धड़कन में बदलाव (Change in Heart Rhythm)
  • सांस लेने में कठिनाई (Difficulty Breathing)
  • त्वचा पर चकत्ते (Skin Rashes)
  • त्वचा पर असामान्य धब्बे (Abnormal Spots on Skin)
  • पैरों या पेट में सूजन (Swelling in Feet and Abdomen)
  • कमजोरी और थकान रहना (Weakness and Tiredness)

दिल के रोग के कारण क्या हैं? (Causes of Heart Related Diseases)

  • लिंग (Gender)- पुरुषों में महिलाओं की तुलना से ज़्यादा दिल के रोग होते हैं 
  • आयु (Age)- बढ़ती उम्र के साथ दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जाता है। 
  • पारिवारिक इतिहास (Family History)- यदि आपके परिवार में दिल की बीमारियों का इतिहास है बीमारी से प्रवित आज सकते हैं। 
  • मधुमेह और उच्च रक्तचाप (Diabetes, High BP)- अनियंत्रित उच्च रक्तचाप और मधुमेह , हरिद्र/दिल के रोग की सम्भावना बढ़ा देता है। 
  • जीवनशैली (Lifestyle)- धूम्रपान (Cigarette), शराब पीना (Alcohol Consumption), मोटापा जो कम शारीरिक गतिविधि (Sedentary Lifestyle) करने के कारण हो सकता है , उन्हेल्थी खाना खाने के कारण कोलेस्ट्रॉल के स्तर से दिल की बीमारियों की सम्भावना बढ़ती हैं। 

दिल की बीमारियों के नैदानिक परीक्षण

हृदय रोग का निदान 

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हृदय रोग का इलाज कैसे करें?

  • जीवनशैली बदलना (Lifestyle Changes): आप भोजन जिसमें कम वसा होना और हेल्थी खाना खाना , तंबाकू उत्पादों का उपयोग बंद करना या शारीरिक गतिविधि बढ़ाना शामिल हो सकता है।
  • दवा लेना (Medications): आप अपने डक्टर से सलाह लेकर उचित दवा से रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, कुछ दवाएं दिल की विफलता में इस्तेमाल की जाती हैं और असामान्य हृदय ताल में मदद को सामान्य करने में मदद करती हैं। 
  • सर्जरी (Surgery): दिल के लिए मिनिमली इनवेसिव सर्जरी या एब्लेशन का इस्तेमाल किया जा सकता है। अन्य प्रक्रिया जैसे की कैथीटेराइजेशन, स्टेंट प्लेसमेंट या कार्डियोवर्जन हो सकती हैं ।
  • हृदय पुनर्वास कार्यक्रम (Cardiac Rehabilitation): इसमें देखरेख में व्यायाम करना शामिल हैं जो दिल का दौरा पड़ने के बाद, दिल को मजबूत करने की लिए की जाती है। पौष्टिक खाना खाना और जीवनशैली में बद्लावकर्ण भी दिल के रोगों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।

निष्कर्ष 

हृदय रोग कई कारणों से हो सकते हैं जैसे की पौष्टिक खाना न खाना, कोलेस्ट्रॉल बढ़ना, रक्तचाप बढ़ने से इत्यादि। हृदय एक ऐसा अंग है जो पूरे शरीर में रक्त का संचार करता है। हृदय की धड़कन में असामान्यताएं अनियमित रक्त प्रवाह का कारण बनती हैं जो शरीर के विभिन्न कार्यों में बाधा डाल सकती हैं, इसलिए हृदय के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आप हृदय रोग के कुछ लक्षणों का सामना कर रहे हैं, तो आपको जल्द से जल्द सर्वोत्तम निदान केंद्र से निदान प्राप्त करना चाहिए।