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MRI के नुकसान

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MRI के नुकसान

MRI के नुकसान

इस ब्लॉग में, हम MRI के नुकसानों पर डिटेल में बात करेंगे। हम MRI के नुकसानों से जुड़े कुछ...

ओवरव्यू

मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग एक बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला और बहुत एडवांस्ड मेडिकल स्कैन है। यह नुकसानदायक रेडिएशन का इस्तेमाल किए बिना अंदरूनी अंगों और टिशू की डिटेल्ड तस्वीरें देता है। MRI के कई फायदे हैं, लेकिन कुछ लिमिटेशन और चैलेंज भी हैं जिन्हें मरीज़ों और डॉक्टरों को ध्यान में रखना चाहिए। नुकसानों को समझने से लोगों को अपनी डायग्नोस्टिक केयर के बारे में सोच-समझकर फैसले लेने में मदद मिल सकती है।

कॉस्ट और अवेलेबिलिटी (Cost and Availability)

MRI स्कैन आमतौर पर एक्स-रे या CT स्कैन जैसे दूसरे इमेजिंग टेस्ट से ज़्यादा महंगे होते हैं। यह ज़्यादा कीमत इसलिए है क्योंकि MRI मशीनों को इंस्टॉल करना और मेंटेन करना महंगा होता है। कुछ इलाकों में, MRI सेंटर आसानी से अवेलेबल नहीं हो सकते हैं, जिससे डायग्नोसिस में देरी हो सकती है। जो मरीज़ सस्ते मेडिकल ऑप्शन ढूंढ रहे हैं, उनके लिए MRI की कीमत एक चिंता का विषय बन सकती है।

टाइम लेने वाला प्रोसीजर (Time Consuming Procedure)

CT स्कैन या अल्ट्रासाउंड की तुलना में MRI में ज़्यादा समय लगता है। एक आम स्कैन में 20 से 45 मिनट या डिटेल्ड इमेजिंग के लिए उससे भी ज़्यादा समय लग सकता है। मरीज़ों को पूरे टेस्ट के दौरान पूरी तरह से स्थिर रहना पड़ता है, जो स्ट्रेसफुल या अनकम्फर्टेबल हो सकता है। जिन लोगों को फिजिकल दर्द या चलने-फिरने में दिक्कत होती है, उन्हें लंबे समय तक एक ही पोजीशन में रहने में मुश्किल हो सकती है।

क्लौस्ट्रोफोबिया और बेचैनी (Claustrophobia and Discomfort)

ज़्यादातर MRI मशीनें ट्यूब के आकार की और काफी पतली होती हैं। बहुत से लोग स्कैनर के अंदर नर्वस या फंसा हुआ महसूस करते हैं, खासकर क्लॉस्ट्रोफोबिया वाले लोग। मशीन से निकलने वाली तेज़ आवाज़ भी एंग्जायटी बढ़ा सकती है। भले ही कान की सुरक्षा दी गई हो, फिर भी कुछ मरीज़ों को यह अनुभव अनकम्फर्टेबल लगता है। बच्चों और बड़े लोगों को एक्स्ट्रा सपोर्ट या बेहोशी की ज़रूरत हो सकती है।

सभी के लिए सही नहीं (Not Suitable for Everyone)

MRI में स्ट्रॉन्ग मैग्नेट का इस्तेमाल होता है। इसलिए, यह उन मरीज़ों के लिए रिकमेंड नहीं किया जाता है जिनके शरीर में कुछ मेटल इम्प्लांट या डिवाइस जैसे पेसमेकर, कॉक्लियर इम्प्लांट या कुछ सर्जिकल क्लिप हैं। मैग्नेटिक फील्ड इन डिवाइस के काम करने में रुकावट डाल सकती है। जिन लोगों के शरीर में पुरानी चोटों की वजह से मेटल के टुकड़े हैं, उन्हें भी MRI से बचने की सलाह दी जाती है, जब तक कि पूरी तरह से जांच न हो जाए।

कुछ मामलों में कंट्रास्ट रिएक्शन (Contrast Reactions in Some Cases)

कभी-कभी डॉक्टरों को खास टिशू की साफ़ इमेज पाने के लिए कंट्रास्ट डाई का इस्तेमाल करना पड़ता है। हालांकि यह आमतौर पर सुरक्षित होता है, कुछ मरीज़ों को एलर्जिक रिएक्शन या किडनी से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं। किडनी की बीमारी वाले लोगों को कंट्रास्ट मटीरियल लेने से पहले खास ध्यान रखने की ज़रूरत होती है।

मूवमेंट सेंसिटिविटी (Movement Sensitivity)

अगर स्कैन के दौरान कोई मरीज़ थोड़ा भी हिलता है, तो इमेज धुंधली हो सकती हैं। मूवमेंट के प्रति यह सेंसिटिविटी उन मरीज़ों के लिए MRI को मुश्किल बना सकती है जिन्हें कंपकंपी, तेज़ दर्द, छोटे बच्चे या जो निर्देशों का ठीक से पालन नहीं कर सकते हैं। ऐसे मामलों में, बेहोश करने की ज़रूरत हो सकती है, जिससे प्रोसीजर में और ज़्यादा रिस्क और समय लगता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ's)

क्या MRI सभी के लिए सुरक्षित है?

नहीं। कुछ खास मेटल इम्प्लांट या पेसमेकर वाले लोग MRI के लिए एलिजिबल नहीं हो सकते हैं।

MRI में इतनी आवाज़ क्यों होती है?

यह आवाज़ मशीन के अंदर लगे मैग्नेटिक कॉइल से आती है जो इमेज बनाने का काम करते हैं।

क्या मैं स्कैन के दौरान हिल-डुल सकता हूँ?

हिलने-डुलने से इमेज धुंधली हो सकती हैं, इसलिए सही नतीजों के लिए स्थिर रहना ज़रूरी है।

क्या MRI, CT स्कैन से ज़्यादा महंगा है?

हाँ। एडवांस्ड टेक्नोलॉजी और मशीन के मेंटेनेंस की वजह से MRI में आम तौर पर ज़्यादा खर्च आता है।

क्या सभी MRI स्कैन में कंट्रास्ट की ज़रूरत होती है?

नहीं। कंट्रास्ट का इस्तेमाल सिर्फ़ तब किया जाता है जब डॉक्टरों को ज़्यादा क्लैरिटी चाहिए होती है, खासकर ट्यूमर या ब्लड वेसल के लिए।